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Sura 30
Aya 29
29
بَلِ اتَّبَعَ الَّذينَ ظَلَموا أَهواءَهُم بِغَيرِ عِلمٍ ۖ فَمَن يَهدي مَن أَضَلَّ اللَّهُ ۖ وَما لَهُم مِن ناصِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

मगर सरकशों ने तो बगैर समझे बूझे अपनी नफसियानी ख्वाहिशों की पैरवी कर ली (और ख़ुदा का शरीक ठहरा दिया) ग़रज़ ख़ुदा जिसे गुमराही में छोड़ दे (फिर) उसे कौन राहे रास्त पर ला सकता है और उनका कोई मददगार (भी) नहीं