85وَمَن يَبتَغِ غَيرَ الإِسلامِ دينًا فَلَن يُقبَلَ مِنهُ وَهُوَ فِي الآخِرَةِ مِنَ الخاسِرينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजो इस्लाम के अतिरिक्त कोई और दीन (धर्म) तलब करेगा तो उसकी ओर से कुछ भी स्वीकार न किया जाएगा। और आख़िरत में वह घाटा उठानेवालों में से होगा