27تولِجُ اللَّيلَ فِي النَّهارِ وَتولِجُ النَّهارَ فِي اللَّيلِ ۖ وَتُخرِجُ الحَيَّ مِنَ المَيِّتِ وَتُخرِجُ المَيِّتَ مِنَ الحَيِّ ۖ وَتَرزُقُ مَن تَشاءُ بِغَيرِ حِسابٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"तू रात को दिन में पिरोता है और दिन को रात में पिरोता है। तू निर्जीव से सजीव को निकालता है और सजीव से निर्जीव को निकालता है, बेहिसाब देता है।"