184فَإِن كَذَّبوكَ فَقَد كُذِّبَ رُسُلٌ مِن قَبلِكَ جاءوا بِالبَيِّناتِ وَالزُّبُرِ وَالكِتابِ المُنيرِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदफिर यदि वे तुम्हें झुठलाते ही रहें, तो तुमसे पहले भी कितने ही रसूल झुठलाए जा चुके है, जो खुली निशानियाँ, 'ज़बूरें' और प्रकाशमान किताब लेकर आए थे