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Sura 3
Aya 146
146
وَكَأَيِّن مِن نَبِيٍّ قاتَلَ مَعَهُ رِبِّيّونَ كَثيرٌ فَما وَهَنوا لِما أَصابَهُم في سَبيلِ اللَّهِ وَما ضَعُفوا وَمَا استَكانوا ۗ وَاللَّهُ يُحِبُّ الصّابِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (मुसलमानों तुम ही नहीं) ऐसे पैग़म्बर बहुत से गुज़र चुके हैं जिनके साथ बहुतेरे अल्लाह वालों ने (राहे खुदा में) जेहाद किया और फिर उनको ख़ुदा की राह में जो मुसीबत पड़ी है न तो उन्होंने हिम्मत हारी न बोदापन किया (और न दुशमन के सामने) गिड़गिड़ाने लगे और साबित क़दम रहने वालों से ख़ुदा उलफ़त रखता है