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Sura 3
Aya 145
145
وَما كانَ لِنَفسٍ أَن تَموتَ إِلّا بِإِذنِ اللَّهِ كِتابًا مُؤَجَّلًا ۗ وَمَن يُرِد ثَوابَ الدُّنيا نُؤتِهِ مِنها وَمَن يُرِد ثَوابَ الآخِرَةِ نُؤتِهِ مِنها ۚ وَسَنَجزِي الشّاكِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और बगैर हुक्मे ख़ुदा के तो कोई शख्स मर ही नहीं सकता वक्ते मुअय्यन तक हर एक की मौत लिखी हुई है और जो शख्स (अपने किए का) बदला दुनिया में चाहे तो हम उसको इसमें से दे देते हैं और जो शख्स आख़ेरत का बदला चाहे उसे उसी में से देंगे और (नेअमत ईमान के) शुक्र करने वालों को बहुत जल्द हम जज़ाए खैर देंगे