128لَيسَ لَكَ مِنَ الأَمرِ شَيءٌ أَو يَتوبَ عَلَيهِم أَو يُعَذِّبَهُم فَإِنَّهُم ظالِمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(ऐ रसूल) तुम्हारा तो इसमें कुछ बस नहीं चाहे ख़ुदा उनकी तौबा कुबूल करे या उनको सज़ा दे क्योंकि वह ज़ालिम तो ज़रूर हैं