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Sura 3
Aya 118
118
يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا لا تَتَّخِذوا بِطانَةً مِن دونِكُم لا يَألونَكُم خَبالًا وَدّوا ما عَنِتُّم قَد بَدَتِ البَغضاءُ مِن أَفواهِهِم وَما تُخفي صُدورُهُم أَكبَرُ ۚ قَد بَيَّنّا لَكُمُ الآياتِ ۖ إِن كُنتُم تَعقِلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

ऐ ईमान लानेवालो! अपनों को छोड़कर दूसरों को अपना अंतरंग मित्र न बनाओ, वे तुम्हें नुक़सान पहुँचाने में कोई कमी नहीं करते। जितनी भी तुम कठिनाई में पड़ो, वही उनको प्रिय है। उनका द्वेष तो उनके मुँह से व्यक्त हो चुका है और जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए है, वह तो इससे भी बढ़कर है। यदि तुम बुद्धि से काम लो, तो हमने तुम्हारे लिए निशानियाँ खोलकर बयान कर दी हैं