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Sura 3
Aya 112
112
ضُرِبَت عَلَيهِمُ الذِّلَّةُ أَينَ ما ثُقِفوا إِلّا بِحَبلٍ مِنَ اللَّهِ وَحَبلٍ مِنَ النّاسِ وَباءوا بِغَضَبٍ مِنَ اللَّهِ وَضُرِبَت عَلَيهِمُ المَسكَنَةُ ۚ ذٰلِكَ بِأَنَّهُم كانوا يَكفُرونَ بِآياتِ اللَّهِ وَيَقتُلونَ الأَنبِياءَ بِغَيرِ حَقٍّ ۚ ذٰلِكَ بِما عَصَوا وَكانوا يَعتَدونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जहॉ कहीं हत्ते चढ़े उनपर रूसवाई की मार पड़ी मगर ख़ुदा के एहद (या) और लोगों के एहद के ज़रिये से (उनको कहीं पनाह मिल गयी) और फिर हेरफेर के खुदा के गज़ब में पड़ गए और उनपर मोहताजी की मार (अलग) पड़ी ये (क्यों) इस सबब से कि वह ख़ुदा की आयतों से इन्कार करते थे और पैग़म्बरों को नाहक़ क़त्ल करते थे ये सज़ा उसकी है कि उन्होंने नाफ़रमानी की और हद से गुज़र गए थे