105وَلا تَكونوا كَالَّذينَ تَفَرَّقوا وَاختَلَفوا مِن بَعدِ ما جاءَهُمُ البَيِّناتُ ۚ وَأُولٰئِكَ لَهُم عَذابٌ عَظيمٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर तुम (कहीं) उन लोगों के ऐसे न हो जाना जो आपस में फूट डाल कर बैठ रहे और रौशन (दलील) आने के बाद भी एक मुंह एक ज़बान न रहे और ऐसे ही लोगों के वास्ते बड़ा (भारी) अज़ाब है