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Sura 3
Aya 103
103
وَاعتَصِموا بِحَبلِ اللَّهِ جَميعًا وَلا تَفَرَّقوا ۚ وَاذكُروا نِعمَتَ اللَّهِ عَلَيكُم إِذ كُنتُم أَعداءً فَأَلَّفَ بَينَ قُلوبِكُم فَأَصبَحتُم بِنِعمَتِهِ إِخوانًا وَكُنتُم عَلىٰ شَفا حُفرَةٍ مِنَ النّارِ فَأَنقَذَكُم مِنها ۗ كَذٰلِكَ يُبَيِّنُ اللَّهُ لَكُم آياتِهِ لَعَلَّكُم تَهتَدونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और तुम सब के सब (मिलकर) ख़ुदा की रस्सी मज़बूती से थामे रहो और आपस में (एक दूसरे) के फूट न डालो और अपने हाल (ज़ार) पर ख़ुदा के एहसान को तो याद करो जब तुम आपस में (एक दूसरे के) दुश्मन थे तो ख़ुदा ने तुम्हारे दिलों में (एक दूसरे की) उलफ़त पैदा कर दी तो तुम उसके फ़ज़ल से आपस में भाई भाई हो गए और तुम गोया सुलगती हुईआग की भट्टी (दोज़ख) के लब पर (खडे) थे गिरना ही चाहते थे कि ख़ुदा ने तुमको उससे बचा लिया तो ख़ुदा अपने एहकाम यूं वाजेए करके बयान करता है ताकि तुम राहे रास्त पर आ जाओ