88وَتَرَى الجِبالَ تَحسَبُها جامِدَةً وَهِيَ تَمُرُّ مَرَّ السَّحابِ ۚ صُنعَ اللَّهِ الَّذي أَتقَنَ كُلَّ شَيءٍ ۚ إِنَّهُ خَبيرٌ بِما تَفعَلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर तुम पहाड़ों को देखकर समझते हो कि वे जमे हुए है, हालाँकि वे चल रहे होंगे, जिस प्रकार बादल चलते है। यह अल्लाह की कारीगरी है, जिसने हर चीज़ को सुदृढ़ किया। निस्संदेह वह उसकी ख़बर रखता है, जो कुछ तुम करते हो