59قُلِ الحَمدُ لِلَّهِ وَسَلامٌ عَلىٰ عِبادِهِ الَّذينَ اصطَفىٰ ۗ آللَّهُ خَيرٌ أَمّا يُشرِكونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकहो, "प्रशंसा अल्लाह के लिए है और सलाम है उनके उन बन्दों पर जिन्हें उसने चुन लिया। क्या अल्लाह अच्छा है या वे जिन्हें वे साझी ठहरा रहे है?