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Sura 27
Aya 44
44
قيلَ لَهَا ادخُلِي الصَّرحَ ۖ فَلَمّا رَأَتهُ حَسِبَتهُ لُجَّةً وَكَشَفَت عَن ساقَيها ۚ قالَ إِنَّهُ صَرحٌ مُمَرَّدٌ مِن قَواريرَ ۗ قالَت رَبِّ إِنّي ظَلَمتُ نَفسي وَأَسلَمتُ مَعَ سُلَيمانَ لِلَّهِ رَبِّ العالَمينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उससे कहा गया कि "महल में प्रवेश करो।" तो जब उसने उसे देखा तो उसने उसको गहरा पानी समझा और उसने अपनी दोनों पिंडलियाँ खोल दी। उसने कहा, "यह तो शीशे से निर्मित महल है।" बोली, "ऐ मेरे रब! निश्चय ही मैंने अपने आपपर ज़ुल्म किया। अब मैंने सुलैमान के साथ अपने आपको अल्लाह के समर्पित कर दिया, जो सारे संसार का रब है।"