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Sura 27
Aya 40
40
قالَ الَّذي عِندَهُ عِلمٌ مِنَ الكِتابِ أَنا آتيكَ بِهِ قَبلَ أَن يَرتَدَّ إِلَيكَ طَرفُكَ ۚ فَلَمّا رَآهُ مُستَقِرًّا عِندَهُ قالَ هٰذا مِن فَضلِ رَبّي لِيَبلُوَني أَأَشكُرُ أَم أَكفُرُ ۖ وَمَن شَكَرَ فَإِنَّما يَشكُرُ لِنَفسِهِ ۖ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ رَبّي غَنِيٌّ كَريمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस व्यक्ति के पास किताब का ज्ञान था, उसने कहा, "मैं आपकी पलक झपकने से पहले उसे आपके पास लाए देता हूँ।" फिर जब उसने उसे अपने पास रखा हुआ देखा तो कहा, "यह मेरे रब का उदार अनुग्रह है, ताकि वह मेरी परीक्षा करे कि मैं कृतज्ञता दिखाता हूँ या कृतघ्न बनता हूँ। जो कृतज्ञता दिखलाता है तो वह अपने लिए ही कृतज्ञता दिखलाता है और वह जिसने कृतघ्नता दिखाई, तो मेरा रब निश्चय ही निस्पृह, बड़ा उदार है।"