18حَتّىٰ إِذا أَتَوا عَلىٰ وادِ النَّملِ قالَت نَملَةٌ يا أَيُّهَا النَّملُ ادخُلوا مَساكِنَكُم لا يَحطِمَنَّكُم سُلَيمانُ وَجُنودُهُ وَهُم لا يَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीतो वह सबके सब (मसल मसल) खडे क़िए जाते थे (ग़रज़ इस तरह लशकर चलता) यहाँ तक कि जब (एक दिन) चीटीयों के मैदान में आ निकले तो एक चीटीं बोली ऐ चीटीयों अपने अपने बिल में घुस जाओ- ऐसा न हो कि सुलेमान और उनका लश्कर तुम्हे रौन्द डाले और उन्हें उसकी ख़बर भी न हो