224وَالشُّعَراءُ يَتَّبِعُهُمُ الغاوونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीहालाँकि उनमें के अक्सर तो (बिल्कुल) झूठे हैं और शायरों की पैरवी तो गुमराह लोग किया करते हैं