102فَلَو أَنَّ لَنا كَرَّةً فَنَكونَ مِنَ المُؤمِنينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीतो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) ईमान वालों से होते