68وَالَّذينَ لا يَدعونَ مَعَ اللَّهِ إِلٰهًا آخَرَ وَلا يَقتُلونَ النَّفسَ الَّتي حَرَّمَ اللَّهُ إِلّا بِالحَقِّ وَلا يَزنونَ ۚ وَمَن يَفعَل ذٰلِكَ يَلقَ أَثامًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजो अल्लाह के साथ किसी दूसरे इष्ट-पूज्य को नहीं पुकारते और न नाहक़ किसी जीव को जिस (के क़त्ल) को अल्लाह ने हराम किया है, क़त्ल करते है। और न वे व्यभिचार करते है - जो कोई यह काम करे तो वह गुनाह के वबाल से दोचार होगा