18قالوا سُبحانَكَ ما كانَ يَنبَغي لَنا أَن نَتَّخِذَ مِن دونِكَ مِن أَولِياءَ وَلٰكِن مَتَّعتَهُم وَآباءَهُم حَتّىٰ نَسُوا الذِّكرَ وَكانوا قَومًا بورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवे कहेंगे, "महान और उच्च है तू! यह हमसे नहीं हो सकता था कि तुझे छोड़कर दूसरे संरक्षक बनाएँ। किन्तु हुआ यह कि तूने उन्हें औऱ उनके बाप-दादा को अत्यधिक सुख-सामग्री दी, यहाँ तक कि वे अनुस्मृति को भुला बैठे और विनष्ट होनेवाले लोग होकर रहे।"