إِنَّمَا المُؤمِنونَ الَّذينَ آمَنوا بِاللَّهِ وَرَسولِهِ وَإِذا كانوا مَعَهُ عَلىٰ أَمرٍ جامِعٍ لَم يَذهَبوا حَتّىٰ يَستَأذِنوهُ ۚ إِنَّ الَّذينَ يَستَأذِنونَكَ أُولٰئِكَ الَّذينَ يُؤمِنونَ بِاللَّهِ وَرَسولِهِ ۚ فَإِذَا استَأذَنوكَ لِبَعضِ شَأنِهِم فَأذَن لِمَن شِئتَ مِنهُم وَاستَغفِر لَهُمُ اللَّهَ ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
सच्चे ईमानदार तो सिर्फ वह लोग हैं जो ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाए और जब किसी ऐसे काम के लिए जिसमें लोंगों के जमा होने की ज़रुरत है- रसूल के पास होते हैं जब तक उससे इजाज़त न ले ली न गए (ऐ रसूल) जो लोग तुम से (हर बात में) इजाज़त ले लेते हैं वे ही लोग (दिल से) ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाए हैं तो जब ये लोग अपने किसी काम के लिए तुम से इजाज़त माँगें तो तुम उनमें से जिसको (मुनासिब ख्याल करके) चाहो इजाज़त दे दिया करो और खुदा उसे उसकी बख़्शिस की दुआ भी करो बेशक खुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है