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Sura 24
Aya 2
2
الزّانِيَةُ وَالزّاني فَاجلِدوا كُلَّ واحِدٍ مِنهُما مِائَةَ جَلدَةٍ ۖ وَلا تَأخُذكُم بِهِما رَأفَةٌ في دينِ اللَّهِ إِن كُنتُم تُؤمِنونَ بِاللَّهِ وَاليَومِ الآخِرِ ۖ وَليَشهَد عَذابَهُما طائِفَةٌ مِنَ المُؤمِنينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

़ज़िना करने वाली औरत और ज़िना करने वाले मर्द इन दोनों में से हर एक को सौ (सौ) कोडे मारो और अगर तुम ख़ुदा और रोजे अाख़िरत पर ईमान रखते हो तो हुक्मे खुदा के नाफिज़ करने में तुमको उनके बारे में किसी तरह की तरस का लिहाज़ न होने पाए और उन दोनों की सज़ा के वक्त मोमिन की एक जमाअत को मौजूद रहना चाहिए