15إِذ تَلَقَّونَهُ بِأَلسِنَتِكُم وَتَقولونَ بِأَفواهِكُم ما لَيسَ لَكُم بِهِ عِلمٌ وَتَحسَبونَهُ هَيِّنًا وَهُوَ عِندَ اللَّهِ عَظيمٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीकि तुम अपनी ज़बानों से इसको एक दूसरे से बयान करने लगे और अपने मुँह से ऐसी बात कहते थे जिसका तुम्हें इल्म व यक़ीन न था (और लुत्फ ये है कि) तुमने इसको एक आसान बात समझी थी हॉलाकि वह ख़ुदा के नज़दीक बड़ी सख्त बात थी