44ثُمَّ أَرسَلنا رُسُلَنا تَترىٰ ۖ كُلَّ ما جاءَ أُمَّةً رَسولُها كَذَّبوهُ ۚ فَأَتبَعنا بَعضَهُم بَعضًا وَجَعَلناهُم أَحاديثَ ۚ فَبُعدًا لِقَومٍ لا يُؤمِنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदफिर हमने निरन्तर अपने रसूल भेजे। जब भी किसी समुदाय के पास उसका रसूल आया, तो उसके लोगों ने उसे झुठला दिया। अतः हम एक दूसरे के पीछे (विनाश के लिए) लगाते चले गए और हमने उन्हें ऐसा कर दिया कि वे कहानियाँ होकर रह गए। फिटकार हो उन लोगों पर जो ईमान न लाएँ