101فَإِذا نُفِخَ فِي الصّورِ فَلا أَنسابَ بَينَهُم يَومَئِذٍ وَلا يَتَساءَلونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(जहाँ) क़ब्रों से उठाए जाएँगें (रहना होगा) फिर जिस वक्त सूर फूँका जाएगा तो उस दिन न लोगों में क़राबत दारियाँ रहेगी और न एक दूसरे की बात पूछेंगे