100لَعَلّي أَعمَلُ صالِحًا فيما تَرَكتُ ۚ كَلّا ۚ إِنَّها كَلِمَةٌ هُوَ قائِلُها ۖ وَمِن وَرائِهِم بَرزَخٌ إِلىٰ يَومِ يُبعَثونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउसमें अच्छा कर्म करूँ।" कुछ नहीं, यह तो बस एक (व्यर्थ) बात है जो वह कहेगा और उनके पीछे से लेकर उस दिन तक एक रोक लगी हुई है, जब वे दोबारा उठाए जाएँगे