67لِكُلِّ أُمَّةٍ جَعَلنا مَنسَكًا هُم ناسِكوهُ ۖ فَلا يُنازِعُنَّكَ فِي الأَمرِ ۚ وَادعُ إِلىٰ رَبِّكَ ۖ إِنَّكَ لَعَلىٰ هُدًى مُستَقيمٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदप्रत्येक समुदाय के लिए हमने बन्दगी की एक रीति निर्धारित कर दी है, जिसका पालन उसके लोग करते है। अतः इस मामले में वे तुमसे झगड़ने की राह न पाएँ। तुम तो अपने रब की ओर बुलाए जाओ। निस्संदेह तुम सीधे मार्ग पर हो