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Sura 22
Aya 65
65
أَلَم تَرَ أَنَّ اللَّهَ سَخَّرَ لَكُم ما فِي الأَرضِ وَالفُلكَ تَجري فِي البَحرِ بِأَمرِهِ وَيُمسِكُ السَّماءَ أَن تَقَعَ عَلَى الأَرضِ إِلّا بِإِذنِهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ بِالنّاسِ لَرَءوفٌ رَحيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

क्या तूने उस पर भी नज़र न डाली कि जो कुछ रूए ज़मीन में है सबको खुदा ही ने तुम्हारे क़ाबू में कर दिया है और कश्ती को (भी) जो उसके हुक्म से दरिया में चलती है और वही तो आसमान को रोके हुए है कि ज़मीन पर न गिर पड़े मगर (जब) उसका हुक्म होगा (तो गिर पडेग़ा) इसमें शक नहीं कि खुदा लोगों पर बड़ा मेहरबान व रहमवाला है