44بَل مَتَّعنا هٰؤُلاءِ وَآباءَهُم حَتّىٰ طالَ عَلَيهِمُ العُمُرُ ۗ أَفَلا يَرَونَ أَنّا نَأتِي الأَرضَ نَنقُصُها مِن أَطرافِها ۚ أَفَهُمُ الغالِبونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदबल्कि बात यह है कि हमने उन्हें और उनके बाप-दादा को सुख-सुविधा प्रदान की, यहाँ तक कि इसी दशा में एक लम्बी मुद्दत उनपर गुज़र गई, तो क्या वे देखते नहीं कि हम इस भूभाग को उसके चतुर्दिक से घटाते हुए बढ़ रहे है? फिर क्या वे अभिमानी रहेंगे?