43أَم لَهُم آلِهَةٌ تَمنَعُهُم مِن دونِنا ۚ لا يَستَطيعونَ نَصرَ أَنفُسِهِم وَلا هُم مِنّا يُصحَبونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमद(क्या वे हमें नहीं जानते) या हमसे हटकर उनके और भी इष्ट-पूज्य है, जो उन्हें बचा ले? वे तो स्वयं अपनी ही सहायता नहीं कर सकते है और न हमारे मुक़ाबले में उनका कोई साथ ही दे सकता है