18بَل نَقذِفُ بِالحَقِّ عَلَى الباطِلِ فَيَدمَغُهُ فَإِذا هُوَ زاهِقٌ ۚ وَلَكُمُ الوَيلُ مِمّا تَصِفونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीबल्कि हम तो हक़ को नाहक़ (के सर) पर खींच मारते हैं तो वह बिल्कुल के सर को कुचल देता है फिर वह उसी वक्त नेस्तवेनाबूद हो जाता है और तुम पर अफ़सोस है कि ऐसी-ऐसी नाहक़ बातें बनाये करते हो