18بَل نَقذِفُ بِالحَقِّ عَلَى الباطِلِ فَيَدمَغُهُ فَإِذا هُوَ زاهِقٌ ۚ وَلَكُمُ الوَيلُ مِمّا تَصِفونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदनहीं, बल्कि हम तो असत्य पर सत्य की चोट लगाते है, तो वह उसका सिर तोड़ देता है। फिर क्या देखते है कि वह मिटकर रह जाता है और तुम्हारे लिए तबाही है उन बातों के कारण जो तुम बनाते हो!