105وَلَقَد كَتَبنا فِي الزَّبورِ مِن بَعدِ الذِّكرِ أَنَّ الأَرضَ يَرِثُها عِبادِيَ الصّالِحونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर हम ज़बूर में याददिहानी के पश्चात लिए चुके है कि "धरती के वारिस मेरे अच्छे बन्दें होंगे।"