96قالَ بَصُرتُ بِما لَم يَبصُروا بِهِ فَقَبَضتُ قَبضَةً مِن أَثَرِ الرَّسولِ فَنَبَذتُها وَكَذٰلِكَ سَوَّلَت لي نَفسيफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउसने कहा, "मुझे उसकी सूझ प्राप्त हुई, जिसकी सूझ उन्हें प्राप्त॥ न हुई। फिर मैंने रसूल के पद-चिन्ह से एक मुट्ठी उठा ली। फिर उसे डाल दिया और मेरे जी ने मुझे कुछ ऐसा ही सुझाया।"