127وَكَذٰلِكَ نَجزي مَن أَسرَفَ وَلَم يُؤمِن بِآياتِ رَبِّهِ ۚ وَلَعَذابُ الآخِرَةِ أَشَدُّ وَأَبقىٰफ़ारूक़ ख़ान & अहमदइसी प्रकार हम उसे बदला देते है जो मर्यादा का उल्लंघन करे और अपने रब की आयतों पर ईमान न लाए। और आख़िरत की यातना तो अत्यन्त कठोर और अधिक स्थायी है