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Sura 2
Aya 89
89
وَلَمّا جاءَهُم كِتابٌ مِن عِندِ اللَّهِ مُصَدِّقٌ لِما مَعَهُم وَكانوا مِن قَبلُ يَستَفتِحونَ عَلَى الَّذينَ كَفَروا فَلَمّا جاءَهُم ما عَرَفوا كَفَروا بِهِ ۚ فَلَعنَةُ اللَّهِ عَلَى الكافِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जब उनके पास खुदा की तरफ़ से किताब (कुरान आई और वह उस किताब तौरेत) की जो उन के पास तसदीक़ भी करती है। और उससे पहले (इसकी उम्मीद पर) काफ़िरों पर फतेहयाब होने की दुआएँ माँगते थे पस जब उनके पास वह चीज़ जिसे पहचानते थे आ गई तो लगे इन्कार करने पस काफ़िरों पर खुदा की लानत है