78وَمِنهُم أُمِّيّونَ لا يَعلَمونَ الكِتابَ إِلّا أَمانِيَّ وَإِن هُم إِلّا يَظُنّونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर कुछ उनमें से ऐसे अनपढ़ हैं कि वह किताबे खुदा को अपने मतलब की बातों के सिवा कुछ नहीं समझते और वह फक़त ख्याली बातें किया करते हैं,