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Sura 2
Aya 283
283
۞ وَإِن كُنتُم عَلىٰ سَفَرٍ وَلَم تَجِدوا كاتِبًا فَرِهانٌ مَقبوضَةٌ ۖ فَإِن أَمِنَ بَعضُكُم بَعضًا فَليُؤَدِّ الَّذِي اؤتُمِنَ أَمانَتَهُ وَليَتَّقِ اللَّهَ رَبَّهُ ۗ وَلا تَكتُمُوا الشَّهادَةَ ۚ وَمَن يَكتُمها فَإِنَّهُ آثِمٌ قَلبُهُ ۗ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ عَليمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यदि तुम किसी सफ़र में हो और किसी लिखनेवाले को न पा सको, तो गिरवी रखकर मामला करो। फिर यदि तुममें से एक-दूसरे पर भरोसा के, तो जिस पर भरोसा किया है उसे चाहिए कि वह यह सच कर दिखाए कि वह विश्वासपात्र है और अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखे। और गवाही को न छिपाओ। जो उसे छिपाता है तो निश्चय ही उसका दिल गुनाहगार है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है