28كَيفَ تَكفُرونَ بِاللَّهِ وَكُنتُم أَمواتًا فَأَحياكُم ۖ ثُمَّ يُميتُكُم ثُمَّ يُحييكُم ثُمَّ إِلَيهِ تُرجَعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदतुम अल्लाह के साथ अविश्वास की नीति कैसे अपनाते हो, जबकि तुम निर्जीव थे तो उसने तुम्हें जीवित किया, फिर वही तुम्हें मौत देता हैं, फिर वही तुम्हें जीवित करेगा, फिर उसी की ओर तुम्हें लौटना हैं?