262الَّذينَ يُنفِقونَ أَموالَهُم في سَبيلِ اللَّهِ ثُمَّ لا يُتبِعونَ ما أَنفَقوا مَنًّا وَلا أَذًى ۙ لَهُم أَجرُهُم عِندَ رَبِّهِم وَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीजो लोग अपने माल ख़ुदा की राह में ख़र्च करते हैं और फिर ख़र्च करने के बाद किसी तरह का एहसान नहीं जताते हैं और न जिनपर एहसान किया है उनको सताते हैं उनका अज्र (व सवाब) उनके परवरदिगार के पास है और न आख़ेरत में उनपर कोई ख़ौफ़ होगा और न वह ग़मगीन होंगे