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Sura 2
Aya 26
26
۞ إِنَّ اللَّهَ لا يَستَحيي أَن يَضرِبَ مَثَلًا ما بَعوضَةً فَما فَوقَها ۚ فَأَمَّا الَّذينَ آمَنوا فَيَعلَمونَ أَنَّهُ الحَقُّ مِن رَبِّهِم ۖ وَأَمَّا الَّذينَ كَفَروا فَيَقولونَ ماذا أَرادَ اللَّهُ بِهٰذا مَثَلًا ۘ يُضِلُّ بِهِ كَثيرًا وَيَهدي بِهِ كَثيرًا ۚ وَما يُضِلُّ بِهِ إِلَّا الفاسِقينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

निस्संदेह अल्लाह नहीं शरमाता कि वह कोई मिसाल पेश करे चाहे वह हो मच्छर की, बल्कि उससे भी बढ़कर किसी तुच्छ चीज़ की। फिर जो ईमान लाए है वे तो जानते है कि वह उनके रब की ओर से सत्य हैं; रहे इनकार करनेवाले तो वे कहते है, "इस मिसाल से अल्लाह का अभिप्राय क्या है?" इससे वह बहुतों को भटकने देता है और बहुतों को सीधा मार्ग दिखा देता है, मगर इससे वह केवल अवज्ञाकारियों ही को भटकने देता है