يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا كُتِبَ عَلَيكُمُ القِصاصُ فِي القَتلَى ۖ الحُرُّ بِالحُرِّ وَالعَبدُ بِالعَبدِ وَالأُنثىٰ بِالأُنثىٰ ۚ فَمَن عُفِيَ لَهُ مِن أَخيهِ شَيءٌ فَاتِّباعٌ بِالمَعروفِ وَأَداءٌ إِلَيهِ بِإِحسانٍ ۗ ذٰلِكَ تَخفيفٌ مِن رَبِّكُم وَرَحمَةٌ ۗ فَمَنِ اعتَدىٰ بَعدَ ذٰلِكَ فَلَهُ عَذابٌ أَليمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ऐ मोमिनों जो लोग (नाहक़) मार डाले जाएँ उनके बदले में तुम को जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है आज़ाद के बदले आज़ाद और ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम और औरत के बदले औरत पस जिस (क़ातिल) को उसके ईमानी भाई तालिबे केसास की तरफ से कुछ माफ़ कर दिया जाये तो उसे भी उसके क़दम ब क़दम नेकी करना और ख़ुश मआमलती से (ख़ून बहा) अदा कर देना चाहिए ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ आसानी और मेहरबानी है फिर उसके बाद जो ज्यादती करे तो उस के लिए दर्दनाक अज़ाब है