You are here: Home » Chapter 2 » Verse 144 » Translation
Sura 2
Aya 144
144
قَد نَرىٰ تَقَلُّبَ وَجهِكَ فِي السَّماءِ ۖ فَلَنُوَلِّيَنَّكَ قِبلَةً تَرضاها ۚ فَوَلِّ وَجهَكَ شَطرَ المَسجِدِ الحَرامِ ۚ وَحَيثُ ما كُنتُم فَوَلّوا وُجوهَكُم شَطرَهُ ۗ وَإِنَّ الَّذينَ أوتُوا الكِتابَ لَيَعلَمونَ أَنَّهُ الحَقُّ مِن رَبِّهِم ۗ وَمَا اللَّهُ بِغافِلٍ عَمّا يَعمَلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ऐ रसूल क़िबला बदलने के वास्ते बेशक तुम्हारा बार बार आसमान की तरफ मुँह करना हम देख रहे हैं तो हम ज़रुर तुम को ऐसे क़िबले की तरफ फेर देगें कि तुम निहाल हो जाओ अच्छा तो नमाज़ ही में तुम मस्ज़िदे मोहतरम काबे की तरफ मुँह कर लो और ऐ मुसलमानों तुम जहाँ कही भी हो उसी की तरफ़ अपना मुँह कर लिया करो और जिन लोगों को किताब तौरेत वगैरह दी गयी है वह बख़ूबी जानते हैं कि ये तबदील क़िबले बहुत बजा व दुरुस्त है और उस के परवरदिगार की तरफ़ से है और जो कुछ वह लोग करते हैं उस से ख़ुदा बेख़बर नही