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Sura 2
Aya 143
143
وَكَذٰلِكَ جَعَلناكُم أُمَّةً وَسَطًا لِتَكونوا شُهَداءَ عَلَى النّاسِ وَيَكونَ الرَّسولُ عَلَيكُم شَهيدًا ۗ وَما جَعَلنَا القِبلَةَ الَّتي كُنتَ عَلَيها إِلّا لِنَعلَمَ مَن يَتَّبِعُ الرَّسولَ مِمَّن يَنقَلِبُ عَلىٰ عَقِبَيهِ ۚ وَإِن كانَت لَكَبيرَةً إِلّا عَلَى الَّذينَ هَدَى اللَّهُ ۗ وَما كانَ اللَّهُ لِيُضيعَ إيمانَكُم ۚ إِنَّ اللَّهَ بِالنّاسِ لَرَءوفٌ رَحيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जिस तरह तुम्हारे क़िबले के बारे में हिदायत की उसी तरह तुम को आदिल उम्मत बनाया ताकि और लोगों के मुक़ाबले में तुम गवाह बनो और रसूल मोहम्मद तुम्हारे मुक़ाबले में गवाह बनें और (ऐ रसूल) जिस क़िबले की तरफ़ तुम पहले सज़दा करते थे हम ने उसको को सिर्फ इस वजह से क़िबला क़रार दिया था कि जब क़िबला बदला जाए तो हम उन लोगों को जो रसूल की पैरवी करते हैं हम उन लोगों से अलग देख लें जो उलटे पाव फिरते हैं अगरचे ये उलट फेर सिवा उन लोगों के जिन की ख़ुदा ने हिदायत की है सब पर शाक़ ज़रुर है और ख़ुदा ऐसा नहीं है कि तुम्हारे ईमान नमाज़ को जो बैतुलमुक़द्दस की तरफ पढ़ चुके हो बरबाद कर दे बेशक ख़ुदा लोगों पर बड़ा ही रफ़ीक व मेहरबान है।