31وَجَعَلَني مُبارَكًا أَينَ ما كُنتُ وَأَوصاني بِالصَّلاةِ وَالزَّكاةِ ما دُمتُ حَيًّاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर मै (चाहे) कहीं रहूँ मुझ को मुबारक बनाया और मुझ को जब तक ज़िन्दा रहूँ नमाज़ पढ़ने ज़कात देने की ताकीद की है और मुझ को अपनी वालेदा का फ़रमाबरदार बनाया