26فَكُلي وَاشرَبي وَقَرّي عَينًا ۖ فَإِمّا تَرَيِنَّ مِنَ البَشَرِ أَحَدًا فَقولي إِنّي نَذَرتُ لِلرَّحمٰنِ صَومًا فَلَن أُكَلِّمَ اليَومَ إِنسِيًّاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअतः तू उसे खा और पी और आँखें ठंडी कर। फिर यदि तू किसी आदमी को देखे तो कह देना, मैंने तो रहमान के लिए रोज़े की मन्नत मानी है। इसलिए मैं आज किसी मनुष्य से न बोलूँगी।"