93حَتّىٰ إِذا بَلَغَ بَينَ السَّدَّينِ وَجَدَ مِن دونِهِما قَومًا لا يَكادونَ يَفقَهونَ قَولًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयहाँ तक कि जब वह दो पर्वतों के बीच पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ पहुँचा तो उसे उनके इस किनारे कुछ लोग मिले, जो ऐसा लगाता नहीं था कि कोई बात समझ पाते हों