86حَتّىٰ إِذا بَلَغَ مَغرِبَ الشَّمسِ وَجَدَها تَغرُبُ في عَينٍ حَمِئَةٍ وَوَجَدَ عِندَها قَومًا ۗ قُلنا يا ذَا القَرنَينِ إِمّا أَن تُعَذِّبَ وَإِمّا أَن تَتَّخِذَ فيهِم حُسنًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयहाँ तक कि जब वह सूर्यास्त-स्थल तक पहुँचा तो उसे मटमैले काले पानी के एक स्रोत में डूबते हुए पाया और उसके निकट उसे एक क़ौम मिली। हमने कहा, "ऐ ज़ुलक़रनैन! तुझे अधिकार है कि चाहे तकलीफ़ पहुँचाए और चाहे उनके साथ अच्छा व्यवहार करे।"