79أَمَّا السَّفينَةُ فَكانَت لِمَساكينَ يَعمَلونَ فِي البَحرِ فَأَرَدتُ أَن أَعيبَها وَكانَ وَراءَهُم مَلِكٌ يَأخُذُ كُلَّ سَفينَةٍ غَصبًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवह जो नौका थी, कुछ निर्धन लोगों की थी जो दरिया में काम करते थे, तो मैंने चाहा कि उसे ऐबदार कर दूँ, क्योंकि आगे उनके परे एक सम्राट था, जो प्रत्येक नौका को ज़बरदस्ती छीन लेता था