68وَكَيفَ تَصبِرُ عَلىٰ ما لَم تُحِط بِهِ خُبرًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (सच तो ये है) जो चीज़ आपके इल्मी अहाते से बाहर हो